Ameen Sayani Iconic Radio Presenter: जिन्हे भूला नहीं जा सकता

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Credit: www.instagram.com

Ameen Sayani Iconic Radio Presenter: रेडियो सुनने वाले लोगों के लिए एक ऐसा नाम जिसे भूला नहीं जा सकता, वह है अमीन सयानी का. उनका 20 फरवरी 2024 को हृदयगति रुकने से निधन हो गया है।

एक अद्भुत और जिंदादिल इंसान थे अमीन सयानी जी जिनका जन्म 21 दिसंबर 1932 को मुंबई में हुआ था। उनका करियर कॉलेज के दिनों में ही शुरू हो गया था, जब वे सेंटस जेवियर्स कॉलेज के मेधावी छात्रों में शुमार थे. इसी समय में उन्हें म्यूजिकल प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग का अनुभव हुआ और इससे संगीत, फिल्म और नाटकों के साथ उनका पहला परिचय हुआ था।

उन्हें 2009 में पद्म श्री, 2006 में लिविंग लीजेंड (Living Legend) अवॉर्ड , 1991 में इंडियन सोसाइटी ऑफ़ एडवरटाइजमेंट (Indian Society of Advertisement) की तरफ से गोल्ड मेडल, 1992 में पर्सन ऑफ द ईयर (Person for the Year)अवॉर्ड, और 2003 में कान हॉल ऑफ़ फेम (Conn Hall of Fame) अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

23 जुलाई 1927 को मुंबई और कोलकाता से भारत में रेडियो प्रसारण का आरंभ हुआ। Starting में इसे Indian State Broadcasting Service कहा जाता था, और 1930 में रेडियो का राष्ट्रीयकरण (Nationalization) हुआ। 1956 में ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) को आकाशवाणी नाम दिया गया।

फिल्म और कलाकारों के प्रति लोगों की उत्कृष्टता की भावना बढ़ती गई थी। इस समय में लोग फिल्मी गानों को सुनने के लिए रेडियो सिलॉन को ही ट्यून करते थे, क्योंकि आकाशवाणी ने उस समय फिल्मी गीतों पर प्रतिबंध लगा रखा था. इससे युवा पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए उन्होंने इसे बदलकर ‘विविध भारती’ नामक स्थान पर फिल्मी गीतों का प्रसारण करना शुरू किया।

इससे पहले Ameen Sayani ‘रेडियो सिलॉन’ पर बिनाका गीतमाला कार्यक्रम लेकर पहुंच चुके थे। ‘बिनाका गीतमाला’ नामक इस पॉपुलर कार्यक्रम के साथ अमीन सयानी की ख्याति देशभर में फैल गई थी। 1952 में पहली बार बिनाका गीतमाला कार्यक्रम ऑन एयर हुआ और उसके पहले ही प्रसारण से ही उन्होंने लोकप्रियता का सिर उठा लिया था। ‘बिनाका गीतमाला’ को रेडियो जगत में सबसे लंबा चलने वाला कार्यक्रम माना जाता है, जो 1952 से 1994 तक चलता रहा।

अमीन सयानी की आवाज ने पूरे देश में एक नए युग की शुरुआत की और उन्हें लोग आधी सदी की आवाज कहते हैं. रेडियो पर उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है।

अमीन सयानी देश के पहले रेडियो जॉकी माने जाते हैं और उनका करियर आज भी युवाओं के बीच में लोकप्रिय है। रेडियो में करियर बनाने वालों के लिए अमीन सयानी की आवाज और शैली का अध्ययन करना एक महत्वपूर्ण अनुभव है।

उनकी इंटरव्यू की कला ने इसे परिष्कृत किया और उनकी आवाज, शब्दचयन और उच्चतम स्तर की पेशेवरी ने उन्हें लोकप्रिय बना दिया है. इसलिए आज भी उनकी कॉपी और मिमिक्री करने वाले लोगों को देखा जा सकता है।

जब Ameen Sayani रेडियो के माइक से अपनी खनकती आवाज में “बहनों और भाइयों” कहते तो पूरा देश झूम उठता था। उनकी आवाज में मिठास, सादगी और पवित्रता का बोध होता था, जो हर उम्र-वर्ग वालों को मदहोश कर देता था। उनके कार्यक्रम का अधीन होने पर लोग कभी भी थम से उठने का नहीं मानते थे।

जब Ameen Sayani ने रेडियो का दामन थामा, तब देश में कई समस्याएं और दर्द थे. उनके गीतों ने लोगों को राहत दिलाई और उनकी आवाज ने उन्हें एक नए उत्साह के साथ जीने का साहस दिया. उनकी आवाज में गीतामाला सुनकर लोग अपने गम भूल जाते थे और एक नए आशीर्वाद के साथ आगे बढ़ते थे।

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