🩺 जेनरिक दवा बनाम ब्रांडेड दवा – क्यों होता है इतना दाम का फर्क?
भारत जैसे देश में जहाँ बड़ी आबादी लाइफस्टाइल डिज़ीज़ (ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल, हार्ट डिज़ीज़) से जूझ रही है, वहाँ दवाइयों की कीमत सीधे आम आदमी की जेब पर असर डालती है। अक्सर मरीज़ और उनके परिजन यह देखकर हैरान हो जाते हैं कि एक ही सॉल्ट (Salt/Active Ingredient) की दवा का ब्रांडेड वर्ज़न बहुत महँगा है, जबकि जेनरिक दवा कई गुना सस्ती मिल जाती है।
तो आखिर ये फर्क क्यों है? क्या जेनरिक दवा उतनी ही असरदार है? और मरीज को किसे चुनना चाहिए?
आईए विस्तार से समझते हैं।
🔹 ब्रांडेड दवा क्या होती है?
जब कोई फ़ार्मा कंपनी किसी नई दवा (मॉलिक्यूल/सॉल्ट) पर रिसर्च करती है, तो उसे बनाने में सालों का समय और करोड़ों-अरबों रुपये लगते हैं।
- उस दवा पर कंपनी का पेटेंट होता है।
- कंपनी उसे एक ब्रांड नेम से बेचती है (जैसे Lipitor, Glycomet, Pantocid)।
- दवा के रिसर्च और मार्केटिंग का खर्च कीमत में जुड़ जाता है।
🔹 जेनरिक दवा क्या होती है?
जब किसी दवा का पेटेंट खत्म हो जाता है, तो किसी भी दूसरी कंपनी को वही सॉल्ट बनाने और बेचने की अनुमति मिल जाती है।
- ये दवा जेनरिक (Generic) कहलाती है।
- इसमें वही एक्टिव सॉल्ट होता है, असर भी वही करता है।
- लेकिन कीमत कई गुना कम होती है।
🔹 दाम में इतना फर्क क्यों?
- रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D): ब्रांडेड दवा की कीमत में रिसर्च का खर्च शामिल होता है, जेनरिक को नहीं।
- मार्केटिंग: ब्रांडेड कंपनियाँ डॉक्टरों को सैंपल, विज्ञापन, कॉन्फ्रेंस देती हैं। जेनरिक में ये खर्च नहीं।
- पैकेजिंग: ब्रांडेड दवा आकर्षक पैकिंग में आती है। जेनरिक साधारण पैकिंग में।
- कंपटीशन: जेनरिक बनने के बाद कई कंपनियाँ वही दवा बनाती हैं → दाम गिरता है।
🔹 क्या जेनरिक दवा उतनी ही असरदार है?
👉 हाँ। भारत में DCGI और दुनिया में FDA यह सुनिश्चित करते हैं कि जेनरिक दवाएँ ब्रांडेड जितनी ही असरदार हों। इन्हें Bioequivalence Test पास करना जरूरी है।
🔹 भारत में दवाओं की कीमत का फर्क (उदाहरण)
सॉल्ट (Generic) | ब्रांडेड नाम | जेनरिक कीमत (10 टैबलेट) | ब्रांडेड कीमत (10 टैबलेट) |
---|---|---|---|
Atorvastatin 10 mg (Cholesterol) | Lipitor, Storvas | ₹20–₹25 | ₹80–₹100 |
Metformin 500 mg (Diabetes) | Glycomet, Glucophage | ₹10–₹15 | ₹50–₹60 |
Pantoprazole 40 mg (Acidity) | Pantocid, Pan 40 | ₹15–₹20 | ₹70–₹80 |
Losartan 50 mg (BP) | Losar, Repace | ₹15–₹25 | ₹90–₹100 |
Telmisartan 40 mg (BP) | Telma, Telsar | ₹25–₹30 | ₹120–₹130 |
Clopidogrel 75 mg (Heart) | Clopilet, Plavix | ₹30–₹40 | ₹120–₹150 |
✅ जेनरिक दवाओं के फायदे
- बहुत सस्ती और किफायती
- Salt वही होने से असर भी वही
- लंबे समय तक चलने वाली दवाओं में खर्च कम
❌ जेनरिक दवाओं की चुनौतियाँ
- हर फार्मेसी पर उपलब्ध नहीं
- पैकिंग साधारण, जिससे मरीज को भरोसा कम होता है
- कई डॉक्टर अभी भी ब्रांडेड लिखते हैं
✅ ब्रांडेड दवाओं के फायदे
- डॉक्टर और मरीज में ज्यादा भरोसा
- हर फार्मेसी पर उपलब्ध
- बेहतर पैकिंग और ब्रांड वैल्यू
❌ ब्रांडेड दवाओं की दिक्कत
- बहुत महंगी
- लंबे इलाज में आर्थिक बोझ
- मार्केटिंग का खर्च मरीज की जेब से
🏁 निष्कर्ष
Generic दवा = वही Salt, वही असर, लेकिन बहुत सस्ती।
Branded दवा = वही Salt, लेकिन रिसर्च + मार्केटिंग + ब्रांड वैल्यू की वजह से महँगी।
अगर आपको trusted कंपनी (Cipla, Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy’s) की Generic दवा मिले तो निःसंकोच चुन सकते हैं। साथ ही, सरकार के जन औषधि केंद्र भी सस्ती दवाओं का अच्छा विकल्प हैं।